जल संरक्षण के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा राष्ट्रीय जल सम्मेलन


मिन्टो हॉल में हुआ राष्ट्रीय जल सम्मेलन , 25 से अधिक राज्यों के जल विशेषज्ञ और पर्यावरणविद् हुए शामिल   


जल एवं पर्यावरण की सुरक्षा हम सबका सामाजिक कर्तव्य :कमलनाथ 


भोपाल | राजधानी के ऐतिहासिक मिन्टो हॉल में मध्यप्रदेश सरकार एवं जल जन जोड़ो अभियान के संयुक्त तत्वावधान में  आयोजित राष्ट्रीय जल सम्मेलन का शुभारंभ करते हुए मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि यदि अभी भी हम जल संरक्षण के प्रति जागरूक नहीं हुए और जल संरक्षण नहीं किया तो आने वाली पीढ़ियां हमें माफ़ नहीं करेंगी | कमलनाथ ने इस अवसर पर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री सुखदेव पांसे तथा जल पुरुष राजेन्द्र सिंह को जल संरक्षण के क्षेत्र में उनके द्वारा किए जा रहे अच्छे प्रयासों के लिए बधाई देते हुए श्री सिंह को 3 माह में म.प्र.के जल अधिकार क़ानून को अमली-जामा पहनाने की ज़िम्मेदारी भी सौंपी | 


वाटरमैन राजेन्द्र सिंह की पुस्तक " मैं जल हूँ " का हुआ विमोचन 


मुख्यमंत्री कमलनाथ द्वारा राष्ट्रीय जल सम्मेलन में शामिल होने भोपाल आए मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित जल पुरुष राजेन्द्र सिंह की पुस्तक " मैं जल हूँ " का विमोचन भी किया गया | वाटरमैन राजेन्द्र सिंह ने इस अवसर पर राइट टू वाटर एक्ट को लेकर म.प्र. के मुख्यमंत्री कमलनाथ की दूरदृष्टि की जमकर सराहना करते हुए इसको जल सुरक्षा की दिशा में एक अभूतपूर्व क़दम बताया | उन्होंने देश के अन्य राज्यों को भी जल संरक्षण के क्षेत्र में मध्यप्रदेश से सीख लेते हुये ‘‘जल अधिकार कानून’’ बनाने की दिशा में कदम बढ़ाने की सलाह भी दी।



राइट टू वाटर चुनौती नहीं, प्रदेशवासियों की सेवा का बेहतरीन अवसर : सुखदेव पांसे 


प्रदेश के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री सुखदेव पांसे ने सम्मेलन के अपने उद्बोधन में  कहा कि जीवन के लिये हवा के बाद पानी ही एक आवश्यक तत्व है तथा वर्तमान हालातों में ‘‘पानी’’ की हो रही उपेक्षा से आगे  होने वाले खतरों को भांपते हुए प्रदेश सरकार के मुखिया कमलनाथ के ‘‘जल अधिकार कानून" द्वारा पर्याप्त एवं पीने योग्य पानी हर प्रदेशवासी को हर मौसम में प्राप्त होना सुनिश्चित किया जायेगा। श्री पांसे ने बताया कि इस कानून में वर्षा की प्रत्येक बूँद को सहेजने के उत्तरदायित्व सुनिश्चित करने के साथ-साथ पानी की बचत व इसकी री-साइकलिंग करके शुद्ध पेयजल की मांग की आंशिक रूप से पूर्ति की जायेगी।



राइट टू वाटर कॉन्फ्रेंस में जुटे देशभर के जल विशेषज्ञ व पर्यावरणविद्


जल अधिकार क़ानून के तहत हर प्रदेशवासी को हर मौसम में मिलेगा पर्याप्त शुद्ध पेयजल


मध्य प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य है जो पहली बार पानी के अधिकार पर गंभीरता व तेज़ी से काम कर रहा है | 


जल अधिकार अधिनियम के तहत सूबे के 70 प्रतिशत सूखे व खाली हो गए भूजल भंडार को भरने,नदियों को पुनर्जीवित करने व राज्य की छोटी नदियों को सदा प्रवाहित रहने तथा प्रदेश के तालाबों को जीवित रखने पर भी विशेष योजना बनेगी | 


राष्ट्रीय जल सम्मेलन में पधारे सभी जल विशेषज्ञों,पर्यावरणविद् एवं वक्ताओं द्वारा जल के अधिकार से जुड़े अनेकानेक पहलुओं पर रोशनी डालने,पानी बचाने और सहेजने को लेकर किये गए गंभीर विचार मंथन व इनके द्वारा दिए गए महत्वपूर्ण सुझावों पर अगले 3 महीने एक ड्राफ्ट तैयार करने का निर्णय भी किया गया | 


इस अवसर पर कानूनविद् अनुपम सराफ, तेलंगाना जल बोर्ड के अध्यक्ष प्रकाश राव, झारखण्ड के पूर्व मंत्री और विधायक सरयू राय, 2030 वाटर रिसोर्स ग्रुप (वल्र्ड बैंक) के अनिल सिन्हा, नीरी, नागपुर के डाॅ. कृष्णा खैरनार, जलगुरू महेन्द्र मोदी, पर्यावरणविद् सुश्री इंदिरा खुराना व सुश्री प्रतिभा शिंदे तथा डाॅ. स्नेहिल दोंडे,  कर्नाटक के पूर्व मंत्री बी. आर. पाटिल के अतिरिक्त अन्य राज्यों से आये अनेक विशेषज्ञों  ने भी अपने विचार व्यक्त कर अनुभव साझा किये। सम्मेलन में देश के 25 से अधिक राज्यों के विषय विशेषज्ञों की  सहभागिता के साथ यूनिसेफ इंडिया प्रमुख माइकल जूमा भी उपस्थित रहे। 


जल सम्मेलन का समापन मध्यप्रदेश के पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास मंत्री कमलेश्वर पटेल ने किया तथा आभार लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के प्रमुख अभियंता सीएस संकुले द्वारा व्यक्त किया गया।