आरक्षण पर "संविधान एवं सुप्रीम कोर्ट का मान" बचाने उतरेगी सपाक्स

आरक्षण की संवैधानिक व्यवस्था पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को बदलने का सरकार की किसी भी कोशिश का सपाक्स संस्था और सपाक्स समाज करेगी पुरजोर विरोध 



संस्था व समाज के पदाधिकारियों सहित मंत्रालय व अन्य विभागो के सामान्य एवं ओबीसी वर्ग के अधिकारी कर्मचारियों की मौजूदगी में हुई बैठक में हुआ फैसला  


भोपाल | बैठक में सभी सदस्यों ने माना कि हाल ही में उत्तराखंड के पदोन्नति में आरक्षण की संवैधानिक व्यवस्था व पूर्व में एट्रोसिटी कानून के संबंध में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय के विरोध में कांग्रेस एवं विभिन्न राजनीतिक दलों के वर्ग विशेष के सांसदों व विधायकों द्वारा की गईं प्रतिक्रियाएं कतई सम्मानजनक एवं संवैधानिक नही है तथा समस्त राजनीतिक दल एक बार फिर अनुसूचित जाति जनजाति वोट बैंक को संतुष्ट करने के लिए पुनः लामबंद हो गए हैं |  


समानता और सबके विकास की अवधारणा के साथ वर्षों बाद वापस सत्ता में आई कमलनाथ सरकार अब उक्त वर्ग विशेष को साधने के लिए सामान्य,ओबीसी और अल्पसंख्यक वर्ग के लोगो के अधिकारों के साथ खिलवाड़ कर रही है | मध्यप्रदेश सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के पदोन्नती मे आरक्षण के  निर्णय के विरोध में प्रदर्शन करना तथा 23 फरवरी को भारत बंद के आह्वान का समर्थन करना सरकार की सोची समझी रणनीति का हिस्सा है, जिससे सामान्य,ओबीसी और अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों में सरकार के प्रति ज़बरदस्त असंतोष है | 


बैठक में राजनैतिक दलों के इस घोर तुष्टीकरण की नीति के विरोध मे सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया  कि सपाक्स संस्था एवं सपाक्स समाज द्वारा 17 फरवरी 2020 को सभी जिलों में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का सम्मान करने के लिए प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री व राज्यपाल के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा जाएगा तथा  26 फरवरी 2020 को पूरे प्रदेश के जिला मुख्यालयों मे “ संविधान एवं सुप्रीम कोर्ट का मान ” बचाने कार्यक्रम करेगी आयोजित ।